Wednesday, 22 August 2012

// शब्द //

एक बार अक्षरों में सभा हुई की हम अकेले रहते हे तो हमारा कोई औचित्य नहीं रहता, हमें संयुक्त रहना चाहिये  / पर इसका प्रभार किस पर सौपा जाये??

इस पर भारी बहस  हुई / सभी अक्षरों पर सहमति बनाने का विचार हुआ/ इसके लिए सर्व प्रथम (स ,श ,ष)"श " को चुना गया क्यूंकि "स" से समर्पण होता हें  / जब तक समर्पण न हो तब तक कोई भी कार्य संभव नहीं हें  / 

फिर "ब " अक्षर पर सहमति बनी / "ब " से बहार (सृजन) और बर्बाद/ सभी ने कहा इसमें  सृजन  और विद्वन्श  की शक्ति हे इसलिए इसे भी चुना जाये और किस-किस को इसका प्रभार सौपा जाये इसपर बहस जारी थी/

फिर किसी ने सुझाव दिया की इन दोनों का संयुक्त प्रयास तभी सार्थक हे जब इनके साथ "द " अक्षर भी रहे, क्यूंकि "द " से दर्पण होता हे/ इनके कार्यो को यही दर्शाएगा  / इन तीनो को संयुक्त किया जाये/ 

लेकिन "श "और "द " अक्षर ने इसका विरोध किया की "ब " अक्षर हमारे साथ रहेगा तो हमारा प्रभाव कम हो जायेगा/ सभी सिर्फ "ब " अक्षर की प्रशंशा करेंगे / बड़ी विकट समस्या प्रकट हो गई / सभी सोच विचार करने लगे / सभी ने अपने बड़ो को सुझाव देने को कहा , इस पर सभी की सहमति बनी की "ब" अक्षर का प्रभाव कम किया जाये और उन्होंने इसे आधा कर दिया / अब "ब "अक्षर आधा ही रह गया /

 तीनो अक्षरों को क्रमशः एकत्रित किया गया इस से "शब्द " की रचना हुई / सभी अक्षरों में ख़ुशी छाई की अब हमारा कुछ रुतबा बढ़ेगा , हमें कुछ अर्थ मिलेगा ,सभी हमें समझेंगे / "ब " अक्षर के आधे किये जाने से उसकी शक्ति भी आधी हो गई / वो अब "ब " को बहार( सृजन) कर सकता था या बर्बाद (विद्वंश )/ अब अक्षरों की संयुक्त पंक्ति को "शब्द "कहा जाने लगा / इस प्रकार अक्षरों से शब्द का निर्माण हुआ / 

अब शब्दों के आलेख से हम समाज में बहार (ख़ुशी ) लाते हे या बर्बादी (विद्वंश ) ये हमारे विवेक पर ही निर्भर करता हे //

7 comments:

  1. Bohot hi gehra lekh.... keep it up!!

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  2. कल 24/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. वाह ... क्या अवलोकन है शब्द की उत्पत्ति का ...
    पर ये सच है की सबकुछ अपने हाथ में ही होता है ...

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  4. तीनो अक्षरों को क्रमशः एकत्रित किया गया इस से "शब्द " की रचना हुई / सभी अक्षरों में ख़ुशी छाई की अब हमारा कुछ रुतबा बढ़ेगा ..jab tak alag-alag the koi mahatva nahi tha mil gaye to ban gayee baat..
    ..shabdon ka prayog karna sabkuch hamare vivek par nirbhar hai ...
    bahut sundar saarthak prastuti..

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  5. it all depends on how we perceive
    half glass full
    or full half glass

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  6. sarthak rachna..
    and also it's different....
    keep it up..

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