Friday 17 August 2012

माँ

कोयल की कूक सी लगती
 एक भोली सी मीठी माँ //

बर्तन ,चूल्हा , चक्की 

घर के गलियारे सी लगती माँ //

थकी-थकी सी आखें उसकी 

एक पीपल की छाया माँ //

फटी हुई सी धोती पहने 

सुबह काम पर जाती माँ //

बचा-कूचा कुछ सुखा लेकर 

बच्चो को खिलाती माँ //

खुद को भूका रखकर 

सबका ध्यान रखती माँ //

बड़ी -बड़ी  मुश्किलों से भी 

कभी नहीं हरी माँ //

आसुओं से नाम आखें 

सदा चुप रहती माँ //

बच्चो को कभी सुलाती 

थकी -थकी सी लगती माँ //

ममता की फिर नई कहानी 

सदा गूंजती रहती माँ //

~विपुल~

9 comments:

  1. मेरी पिछली पोस्ट में हुई परेशानियों के लिए अपने सभी followers से क्षमा चाहता हू //
    उम्मीद करता हु मेरी यह पोस्ट आप सभी को पसंद आयगी ..... में अपनी पोस्ट्स नूपुर की हेल्प से देवनागरी में पोस्ट करता रहूँगा।...आप सभी का धन्यवाद।....

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  2. बहुत सुन्दर रचना...
    :-)

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  3. माँ बस माँ ही है और कुछ नहीं .......सुन्दर रचना

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  4. superb expressions..
    Ma mom mommy.. each n everything about her is divine n lovely

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