Tuesday, 6 November 2012

// इन आसुओं को आज तो बेहने दे //



बड़े  मुद्द्त से सहज कर रखा हे
इन आसुओं को आज तो बेहने दे//
मुझे मेरे हिस्से की ज़िन्दगी
आज तो कुछ जीने दे//

छुपाये रखे हे कई राज़ ता-उम्र अपने सीने में
आ ,आ बेठ दम-भर मेरे पास,
इन राज़ को हमराज़ होने दे//

तुझे समझ कहा हे
इन आसुओं की,
बेमोल .. बेभाव हे ये आसु
आज ये बहते हे तो इन्हें बहने दे//

बड़े मुद्दत से सहज कर रखा हे
इन आसुओं को आज तो बेहने दे//
मुझे मेरे हिस्से की ज़िन्दगी
आज तो कुछ जीने दे//

~विपुल ~