बड़े मुद्द्त से सहज कर रखा हे
इन आसुओं को आज तो बेहने दे//
मुझे मेरे हिस्से की ज़िन्दगी
आज तो कुछ जीने दे//
छुपाये रखे हे कई राज़ ता-उम्र अपने सीने में
आ ,आ बेठ दम-भर मेरे पास,
इन राज़ को हमराज़ होने दे//
तुझे समझ कहा हे
इन आसुओं की,
बेमोल .. बेभाव हे ये आसु
आज ये बहते हे तो इन्हें बहने दे//
बड़े मुद्दत से सहज कर रखा हे
इन आसुओं को आज तो बेहने दे//
मुझे मेरे हिस्से की ज़िन्दगी
आज तो कुछ जीने दे//
~विपुल ~